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आदिवासियों ने ग्राम सभा कर जमीन अधिग्रहण कार्य को रोका

 आदिवासी समुदाय ने ग्राम सभा कर बाईपास रोड बनाने के सर्वे ंकार्य को रोका। बता दें कुछ दिनों पहले सिदपहाडीं गांव में ग्राम प्रधान को सूचना दिए बगैर ही सर्वे का कार्य किया गया था। सर्व वालों से पूछने पर बताया कि इधर से बाईपास रोड बनेगा इसलिए हम लोग सर्वे कर रहे हैं और जब ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान को सूचना दिया कि इधर से बायपास रोड बनने जा रहा है क्या आपको इसके बारे में पता है। तो ग्राम प्रधान ने बताया कि मुझे कोई नहीं बताया है और कोई इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। तब ग्रामीण ने ग्राम प्रधान के बातों को सुनकर उग्र हो गए और ग्राम सभा बैठक बुलाई गई जिसमें गांव के सभी ग्रामीण ने उपस्थित हुए और राजस्व कर्मचारी भी बैठक में उपस्थित हुए और जिसमें जिस जिस पलट का नाम लिखा हुआ था वह नया से बायपास रोड बनाने के लिए नया प्लॉट नंबर का उल्लेख किया गया था जिसमें सभी गमीणों ने नया बाईपास रोड बनाने के लिए पुरजोर विरोध दर्ज किया और वह बताई कि पत्र निर्माण विभाग द्वारा बायपास रोड का कार्य किया जाना है। तो ग्रामीण नाम बताया कि ग्राम प्रधान को इसके बारे में सूचना क्यों नहीं दिए तो इसका जवाब उसके पास नह...

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राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव 2024

 3 फरवरी सन 1890 ई0 को तत्कालीन अंग्रेज जिलाधिकारी जॉन राबटर्स कास्टेयर्स के समय हिजला मेला की शुरुआत की गई थी । ऐसा माना जाता है कि स्थानीय परंपरा, रीति-रिवाज एवं सामाजिक नियमन को समझने तथा स्थानीय लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से मेला की शुरुआत की गई । इसी संदर्भ में “हिजला” शब्द की व्युत्पत्ति भी “हिज लॉज़” से मानी जाती है। एक मान्यता यह भी है कि स्थानीय गाँव हिजला के आधार पर हिजला मेला का नामकरण किया गया है। वर्ष 1975 में संताल परगना के तत्कालीन आयुक्त श्री जी0 आर0 पटवर्धन की पहल पर हिजला मेला के आगे जनजातीय शब्द जोड़ दिया गया । झारखण्ड सरकार ने इस मेला को वर्ष 2008 से एक महोत्सव के रुप में मनाने का निर्णय लिया तथा 2015 में इस मेला को राजकीय मेला का दर्जा प्रदान किया गया, जिसके पश्चात यह मेला राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव के नाम से जाना जाता है । सामान्यतः यह मेला माघ- फाल्गुन के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस समय तक ग्रामीण कृषि कार्यों से निवृत होकर उल्लास-उत्सव की मनोदशा में रहते हैं। सोहराय पर्व की पृष्टभूमि, बसंती हवा की पुलक तथा फाल्गुनी छटा के अवतरण ...

BELBORON BONGA (बेलबोरोन बोंगा)

BELBORON BONGA (बेलबोरोन बोंगा) प्रश्न (1) संताल आदिवासी बेलबोरोन पूजा क्यों मनाते है ? प्रश्न (2) संताल आदिवासियों का दशांय नृत्य क्या है ?यह क्यों नृत्य किया जाता है ? प्रश्न (3) दशांय नृत्य में कुछ पुरुष महिलाओं का पोशाक क्यों पहनते है ? प्रश्न (4) गुरु बोंगा क्या है ? उत्तर : बेलबोरोन पूजा संताल आदिवासियों दुवारा मनाये जाने वाला पूजा है.संतालो के जोम सिम विनती के अनुसार जब धरती मे मनुष्यों द्वारा पाप बहुत बढ़ गया था तो परम सत्ता (सृष्टी कर्ता)ठकुर ने 12 दिन और 12 रात सेगेल दाह(अग्नि वर्षा) धरती के सिंगबीर और मानबीर जगहों में गिराये और इसके साथ-साथ पुहह(जीवाणु/वायरस)भी छोड़े और मनुष्य जाति को ख़त्म करने का निर्णय भी लिये.जब यह बात ठकरन को पता चला तो उसने ठकुर से कहा ये सभी हमारे ही बच्चे है इन सभी को नाश नहीं करे.ऐसा करनेसे हमें ही हानि होगी.इसके लिये मै लिटह (मराङ बुरु)से बात करुगी और हम दोनों मिलकर मनुष्यों को धर्म के रास्ते पुनः वापस लायेगे.उस समय लिटह (मराङ बुरु) देवता पृथ्वी लोक में ही रहते थे.इसके लिये ठकरन ने लिटह (मराङ बुरु)को मोनचोपुरी(पृथ्वी लोक) से शिरमापुरी(देवलोक)बुलायी ...

सूचना का अधिकार क्या है?

सूचना का अधिकार भारत के सभी नागरिकों का अधिकार है। यह भारत के संविधान के 2005 के अधीन है और यह पूरे देश का एकमात्र भ्रष्टाचार को पारदर्शी लाने का अच्छा उपाय है। इससे आप सारे सरकारी चीजों का जानकारी ले सकते हैं और इसका चार्ज ₹2 गोपी के हिसाब से देना पड़ेगा। और यह चार्ज बीपीएल वालों के लिए बिल्कुल मुफ्त है। और अगर कोई भी व्यक्ति किसी सरकारी चीजों का बारे में जानकारी लेना चाहते हैं। तो आप लोग भी डाकघर जाकर ₹10 का भारतीय पोस्टल आर्डर लेकर किस चीज के बारे में सूचनाओं चाहते हैं। उसका हेड ऑफिस सह जन सूचना पदाधिकरी को सूचित कर सकते हैं। और यह सूचना 30 दिन के अंदर दिया जाता है। अगर 30 दिन के अंदर नहीं दिया तो प्रथम अपीलीय प्राधिकारी को सूचित कर सकते हैं।